Tuesday, December 8, 2009

जब जब मै नटवर कृस्न बना


ॐ नमो नारायणाय . नील सरोरुह श्याम हूँ मै , मै स्वयं स्वयं संग रमण करूँ . आह्लादिनी श्री के संग , मै छीरसिन्धु में शयन करूँ . अस्ट कमल नयनों में मेरे , कल्पना दिव्य जग की पावन . है अमूर्त का प्राकट्य मूर्त , है प्रेम प्रसारण SRASTI स्रजन . ब्रह्मांड में नश्वर कुछ भी नहीं . रूपांतरण है परिवर्तन .मै काल का दृष्टा महाकाल , लीला है मेरी तांडव नर्तन . जब जब मै नटवर कृस्न बना , यह विश्व बन गया वृन्दावन . मुझसे ही प्रकट हुई राधा , प्रिया संग संग हुआ अमित नर्तन . गीत लेखक - अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव सीतापुर उत्तर प्रदेश भारत