Wednesday, November 18, 2009

जय हनुमान



जय जय कपीश अंजनी सुत हनुमान की . रघुवर के दुलारे सखा जय हनुमान की . श्री विष्णु तो लक्क्ष्मी संग हंय क्षीर्सिन्धु में .धरणी पे तेरी लीला जय हनुमान की . तुमने तो जानकी की थी वेदना हरी . संकट मेरा भी हर लो जय हनुमान की . एक मुस्टिका से तेरी रावण था मूर्छित . तेरे बल से असुर काँपे जय हनुमान की .जो क्र्स्न है राधा का वोही सीता का है राम . नारायण की लीलाओं में जय हनुमान की . अवतरण रुद्र का है करने को हरि भजन . हे परम वेस्नव जय जय हनुमान की . कोदंड की टंकार ओर हुंकार हो तेरी. फिर भय कहाँ रहेगा जय हनुमान की . अंतिम समय में तेरा ही ध्यान हो मुझे .वाणी में अमित हो मेरी जय हनुमान की .-गीत लेखक -अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव सीतापुर उत्तर प्रदेश भारत

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